कविता
दीपावली
किसी त्योहार को अमीरी गरीबी में न बांटो।
एक दीप जलता है सबको रोशनी देता है।।
यूँ भेदभाव करोगे तो देश अखण्ड कैसे रहेगा।
समता का संदेश ये रोशनी का पर्व देता है।।
किसी में इतना दम नहीं जो कैद करे उजालों को।
झोपड़ीं को भी रोशन एक दीप कर देता है।।
जो सदियों से खामोश रहे वो भी आज बोल रहे।
लोकतंत्र का मंदिर ये सबको न्याय देता है।।
खुशियों से पटाखे राम और इकबाल चला रहे।
ये वो देश है जो एकता की मिसाल देता है।।
कवि राजेश पुरोहित
किसी त्योहार को अमीरी गरीबी में न बांटो।
एक दीप जलता है सबको रोशनी देता है।।
यूँ भेदभाव करोगे तो देश अखण्ड कैसे रहेगा।
समता का संदेश ये रोशनी का पर्व देता है।।
किसी में इतना दम नहीं जो कैद करे उजालों को।
झोपड़ीं को भी रोशन एक दीप कर देता है।।
जो सदियों से खामोश रहे वो भी आज बोल रहे।
लोकतंत्र का मंदिर ये सबको न्याय देता है।।
खुशियों से पटाखे राम और इकबाल चला रहे।
ये वो देश है जो एकता की मिसाल देता है।।
कवि राजेश पुरोहित
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