कविता
*विषैली हवा*
हर कोई शहर में आकर बस रहा।
नित नई समस्याओं से घिर रहा।।
बीमार रहते है शहर वाले अक्सर।
विषैली हवा का असर दिख रहा।।
काट दिये शहरों में सब पेड़ो को।
इमारतों में घुट घुट कर पिस रहा।।
धूल , धुँआ इस कदर फैला देखो।
जिंदगी के दिन आदमी गिन रहा।।
गरीबी देखी नही जाती इंसान की।
तन ढँकने को वह पैबन्द सिल रहा।।
शूल सारे राह के अब कौन उठाता।
पुरोहित सब मतलबपरस्त मिल रहा।।
कवि राजेश पुरोहित
98,पुरोहित कुटी
श्रीराम कॉलोनी
भवानीमंडी
जिला झालावाड़
राजस्थान
पिन 326502
हर कोई शहर में आकर बस रहा।
नित नई समस्याओं से घिर रहा।।
बीमार रहते है शहर वाले अक्सर।
विषैली हवा का असर दिख रहा।।
काट दिये शहरों में सब पेड़ो को।
इमारतों में घुट घुट कर पिस रहा।।
धूल , धुँआ इस कदर फैला देखो।
जिंदगी के दिन आदमी गिन रहा।।
गरीबी देखी नही जाती इंसान की।
तन ढँकने को वह पैबन्द सिल रहा।।
शूल सारे राह के अब कौन उठाता।
पुरोहित सब मतलबपरस्त मिल रहा।।
कवि राजेश पुरोहित
98,पुरोहित कुटी
श्रीराम कॉलोनी
भवानीमंडी
जिला झालावाड़
राजस्थान
पिन 326502
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